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रहस्यमाई चश्मा भाग - 2






उन महासय ने जल्दी जल्दी अपने झोले से कपडा निकाला जो धोती सी लगाती थी u सुयस के हाथ को कस कर बाँधा जिससे की रक्त स्राव कुछ धीमा हुआ ।तब तक स्टेशन मास्टर साहब आ गए और कहने लगे की यह दुर्घटना रेलवे स्टेशन पर हुई है इसलिये क़ानूनी कार्यवाही कर इलाज़ हेतु दरभंगा भेजना पड़ेगा । उतारों इसे रेलगाड़ी के डिब्बे से और रेल गाडी जाने दो सज्जन महाशय ने बड़ी विनम्रता से स्टेशन मास्टर से कहा महोदय नौजवान के शरीर से बहुत अत्यधिक खून गिर चुका है इसे शीघ्रताशीघ्र समुचित चिकित्सा उपलब्ध कराई जानी चाहिये जो आप उपलब्ध नहीं करा सकते क्योकि यहाँ चिकित्सा की कोइ सुविधा नहीं है आपकी कानूनी कार्यवाही में समय लगेगा और उसके बाद आप भी चिकिसा के लिये भेजेंगे शायद तब तक विलम्ब हो जय और यह नौजवान जिन्दा ना बच पाये अतः इसे आप हमे सौप दीजिये इस नौजवान का इलाज़ जैसे भी हो हर संभव प्रयास करके करूँगा स्टेशन मास्टर ने उन महाशय से पूंछा महोदय इस नौजवान से आपका रिश्ता क्या है उन महासय ने कहा मानवता का इंसानियत का इसी रिश्ते से इस नौजवान ने अपना हाथ खतरे में डाल मेरा चश्मा निकलने के लिये इस नौजवान ने अपनी जान जोखिम में डाला।।



स्टेशन मास्टर समझदार और मानवीय मूल्यों में विश्वाश करने वाला व्यक्ति था और सौम्य और विनम्र भी था अतः उसने उस व्यक्ति पर विश्वाश करना उचित समझा उसके पास विकल्प भी बहुत नहीं थे उसके स्टेशन के आस पास चिकित्सा की कोई सुविधा भी नहीं था साथ ही साथ पुलिस एवम् कानूनी कार्यवाही में बिलम्ब होगा सुयस की हालत ज्यादा रक्त स्राव के कारण नाजुक हो गयी थी अतः स्टेशन मास्टर ने सुयस को महासय जो उसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार थे को सौपने का निर्णय लेते हुए महासय से बोला महोदय आप एक घोषणा दे दीजिये की आप क्यों किस हैसियत से गम्बभिर अवस्था में घायल सुयस ले जाना चाहते है।


महासय ने सोचा की मैं किसी भी दशा में सुयस को ले जाना अनिवार्य और आवशयक उन्हेंने स्टेशन मास्टर से कहा बड़े बाबू आप तुरन्त बताये की हमे कौन सी औपचारिकता पूर्ण करनी होंगी जिसके पूर्ण हों जाते ही हम सुयस को चिकित्सा हेतु ले जाया जा सकता है स्टेशन मास्टर ने बिना वक्त गवाएं बोला मान्यवर आप एक घोषणा पत्र भर दे जिसमे आप अपना विवरण दे दे उसके साथ ही साथ आपका और घायल के मध्य क्या रिश्ता है का विवरण भर कर् घायल को साथ ले जा सकते है ।।

उन महासय को लगा की यह भोला भाला नौजवान उनके लिये हो मौत के करीब पहुँच गया है अतः बिना अधिक बात विवाद में पड़े शीघ्रताशीघ्र समुचित चिकित्सा उपलब्ध करना अति आवश्यक है उन्होंने तुरंत स्टेशन मास्टर से कहा जनाब आप घोषणा पत्र दे मैं अविलम्ब भर कर पूर्ण कद देता हूँ ।स्टेशन मास्टर ने परपत्र महासय को देते हुये कहा इसे पूर्ण करे महोदय फार्म लेकर भरना प्रारम्भ किया एक जगह रुक गए यकायक स्टेशन मास्टर ने कहा रुक क्यों गए फार्म में पूछा गया है की आपका और घायल का क्या समंध है एक मिनट रुकने के बाद उन्होंने कहा स्टेशन मास्टर साहब यह मेरा बेटा है स्टेशन मास्टर को मालुम था की सुयस के पिता के विषय में किसी को क़ोई जानकारी नहीं है तुरन्त उसने सवाल किया महासय आपका क्या नाम है तुरन्त जबाब दिया मंगलम चौधरी स्टेशन मास्टर ने व्यंग मुद्रा में कहा यानी फादर ऑफ़ सुयस मंगलम चैधरी ने जबाब दिया जी हां आपको कोइ दिक्कत या संदेह स्टेशन मास्टर ने कहा हमे ना तो कोई दिक्कत है ना ही संदेह अब मैं निश्चिन्त हुआ की मैं घायल नौजवान को जो जीवन मृतु के बिच संघर्ष कर रहा है उसे सही हाथों को सौप रहा हूँ।

 अब आप सुयस को लेकर जाए मैं रेलगाड़ी का सिग्नल देता हूँ ईश्वर से मेरी प्रार्थना है की आपके संरक्षण में नौजवान स्वस्थ होगा साथ हो साथ इस नौजवान को आपके रूप में एक भगवन मिल जायेगा और इसकी किस्मत बदल जायेगी। रेलगाड़ी रवाना होने को तैयार थी स्टेशन मास्टर के साथ पुरे घटना क्रम में साथ रहे रेलवे सुरक्षा बल के सदस्यों ने स्टेशन मास्टर के निर्णय और धैर्य की सराहना करने लगे ।रेल गाडी चलने लगी दिन के लगभग डेढ बज रहे थे सुयस लगभग साढे ग्यारह बजे से रेल गाडी के डिब्बे में अचेत पड़ा था बीच बीच में वह भयंकर पीड़ा से कराहने लगता पुनः अचेत हो जाता रेल गाडी अपने रफ्तार से चल रही थी!




दरभंगा स्टेशन लगभग दो घंटे बाद ही आने वाला था जहाँ सुयस कि चिकित्सा की समुचित व्यवस्था उपलब्ध हो पाती यह बात दीगर थी की मांगलम चौधरी को भी दरभंगा ही जाना था वह दरभंगा जनपद के ही रहने वाले जमींदार थे देश के विभिन्न कोनो में उनकी मिले थी ।चीनी मिल कपड़ा मिल जुट मिल आदि मंगलम चौधरी दरभंगा ही नहीं बल्कि देश के गिने चुने रसूख के धनाढ्यों और संभ्रांत व्यक्तित्वों में थे हर क्षेत्र में उनकी हनक थी तूती बोलती थी उन्होंने विवाह नहीं किया था सभीको यह चिंता थी की मंगलम चौधरी की इतनी बड़ी रियासत और व्यवसाय को कौन संभालेगा।।

उनके मिलो के मज़दूर अधिकारी फार्म हॉउस के कर्मचारी मंगलम चौधरी से बराबर कहते मालिक शादी कर लो ताकि कोई वारिस मिल जायेगा मगर मंगलम चौधरी टस से मस नहीं होते ।




रेल गाड़ी अपनी रफ़्तार से चलती जा रही थी और मंगलम चौधरी सुयस के बारे में सोचते इसने अपनी जान क्यों जोखिम में डाली मैं इसका क्या लगता हूँ चश्मा के वैगैर तो काम चल सकता था यदि इसे कुछ हो गया तो इसके माँ बाप परिवार पर क्या गुजरेगी मैं क्या जबाब दूंगा।मंगलम चौधरी इसी उधेड़ बन में थे रेलगाड़ी अपनी रफ़्तार में चल रही थी डिब्बे के अन्य पैसेंजर पुरे घटना क्रम पर चर्चा करने में मशगूल थे ।


कोई यह कहता की यह नौजवान बहुत बहादुर और जाबाज है और किसी खानदानी का खून है जिसके कारण इसके संस्कार की बुनियाद बहुत मजबूत है ।


रेलगाड़ी चलती जा रही थी पेसेंजर अपनी नुक्ता चीनी गप शप में व्यस्त थे मंगलम चौधरी दिन भर की घटना को लेकर चिंतित और शसंकित थे सुयस बिच में अर्धचेतन अवस्था में उठता कुछ बोलने की कोशीश करता और पुनः अचेत हो जाता ।लगभग आधे घण्टे बाद रेलगाडी दरभंगा पहुचने वाली थी शाम के पांच बजने वाले थे।




नन्दलाल मणि त्रिपाठी



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2 Comments

kashish

09-Sep-2023 07:34 AM

Amazing part

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KALPANA SINHA

05-Sep-2023 11:58 AM

Awesome

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